अब वो मेरा जहाँ नहीं,
ज़मीं नहीं आसमाँ नहीं।
कुछ बदला हो ना बदला हो
मेरे लिए वो शमाँ नहीं।
हाँ बीता सारा जीवन पर
मन कहता है अब वहाँ नहीं।
चलना है चलना ही है
चलना पड़ता है कहाँ नहीं।
"जया झा "
at present...that's it.
अब वो मेरा जहाँ नहीं,
ज़मीं नहीं आसमाँ नहीं।
कुछ बदला हो ना बदला हो
मेरे लिए वो शमाँ नहीं।
हाँ बीता सारा जीवन पर
मन कहता है अब वहाँ नहीं।
चलना है चलना ही है
चलना पड़ता है कहाँ नहीं।
"जया झा "
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2 comments:
अति सुन्दर जया जी, दिल को छू गयी आपकी कविता
धन्यवाद
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